यह गीत रामजन्म आन्दोलन के समय लिखा गया जब आगरा में धर्म के नाम पर दंगा हुआ। यहाँ की गंगा जमुनी संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया गया। आपकी भाईचारे को ध्वस्त करने का प्रयास किया गया। उस दोरान हम आगरा की शानदार विरासत भूल चुके थे।
संत नहीं कोई और हैं
आज जहरीली हवाएं बह रही चहुं ओर है।
घायल है रजनी का चंदा रोता आज चकोर है।
रंग बिरंगे फूल खिले थे
रोज दिवाली होती थी
राम राम और बालेकम से
सुबह की यात्रा होती थी
गप्पें लडती थी नलकों पर
चिड़ियाँ भी चहचहाती थी
रामू और करीम की अम्मा
आपस में बतराती थी
कुहरा छाया है नफरत का होता उन्मादी शोर है।
घायल है रजनी का चंदा रोता आज चकोर है।
लीन कृष्ण के भक्तिभाव से
मंदिर में रसखान है
रामचरित का तुलसी सोता
होती आज अजान है
बहिन की खातिर लड़े हुमायूँ
यह भारत की आन है
है बलिदानी रानी झाँसी
और जफ़र की शान है
भाई भाई को लड़वाते संत नहीं कोई और है
घायल है रजनी का चंदा रोता आज चकोर है।
पीकर रक्त फूल मुस्काता
राम का नाम किया बदनाम
आज सुलहकुल प्राण छोड़ता
स्वप्न नजीर के हुए नाकाम
चाकू घोपा है महलों ने
कुटिया रोती सरे बाजार
खून के आंसू मति रोटी
लाल हुई यमुना की धार
इश्वर अल्लाह के हम वन्दे फिर मन में क्यों चोर है।
घायल है रजनी का चंदा रोता आज चकोर है।
प्यार लुटाया जहाँ ग़ालिब ने
सुर ने हरिगुन गया
और सैनिक की हुंकारों से
राज विदेशी भी धर्राया
अमर प्रेम की जहाँ दास्ताँ
कहता ताजमहल है
सर्व धर्म सम्भाव उदाहरण
जोधाबाई महल है
भरम तोड़ दो उन लोगों के जो अपने में मुहजोर है।
घायल है रजनी का चंदा रोता आज चकोर है।
डाक्टर राम मनोहर लोहिया
आज समाजवादी आन्दोलन के मसीहा डाक्टर लोहिया का दुरूपयोग किया जा रहा है। उनके अनुयायी उनके सिद्यान्तों को भूल गए हैं। समाजवादी आन्दोलन को उन्होंने मजाक में बदल दिया है। उनकी विचारधारा की हत्या उनके अनुयायी सरेआम कर रहें हैं।
कदम कदम पर वो मुस्काता हरता सबकी पीर है.
सभी राग से ऊपर वो तो गंगाजी का नीर है।.
दिया मन्त्र उसने समता का
गूंजा हिंदी का नारा
सदियों से पिछड़े मानव का
मात्र वही था एक सहारा
देख दशा जनजीवन की वो लड़ता बांका वीर है।
सभी राग से ऊपर वो तो गंगाजी का नीर है।।
राज विदेशी के टकराया
माँ भारत का मान बढाया
गोवा को स्वाधीन कराके
ध्वज तिरंगा वहां फहराया
संस्कृति का वो सच्चा साधक एकलव्य का तीर है।
सभी राग से ऊपर वो तो गंगाजी का नीर है।.
देख दशा शोषित जनता की
उसका उर भी रोता था
भाग्य बदलने आभागों के
क्रांति मन्त्र वो बोता था
सुख सपनों को लत मरता ऐसा वो महावीर है।
सभी राग से ऊपर वो तो गंगाजी का नीर है।।
दाम बांधो और जाति तोड़ो
उसका मूलमंत्र था
सबको रोटी और झोपडी
उसका लोकतंत्र था
स्वाभिमानी सूत इस माटी का तर्कों में बलवीर है.
सभी राग से ऊपर वो तो गंगाजी का नीर है।.
kash dharm ke thekedaar ise samajh paate...
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