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शनिवार, 26 जून 2010

ब्लॉग पर परिवर्तन की दस्तक

चारों ओर परिवर्तन का दौर है। हर क्षेत्र में नित्य-नूतन प्रयोग हो रहे हैं। अनुसंधान हो रहे हैं। विचारों की महत्ता बढ़ गई है। बौद्धिक संपदा प्रगति के सोपान पर है। विचारों की विविधता और परिवर्तन का दौर ब्लॉग पर भी दस्तक दे रहा है। ब्लॉगर्स दिल खोलकर विविध विषयों पर लिख रहे हैं। विचारों का बादल ब्लॉग पर अपनी दस्तक दे रहा है।

पद्मावलि ऐसा ही ब्लॉग है। जिसमें यथास्थितिवाद से उबरने की जंग है। विचारों की प्रखरता और जनापेक्षी दृष्टिकोण साफ झलकता है। प्रतापगढ़, इलाहाबाद में प्रारंभिक जीवन व शिक्षा दीक्षा के बाद गाजियाबाद में अपना आशियाना बना चुके पद्मसिंह इस ब्लॉग के ब्लॉगर हैं। उनकी चर्चित पोस्ट आस्था बनाम बाजार कुछ नये प्रश्न खड़े करती है। आस्था और श्रद्धा का जिस तरह बाजारीकरण हुआ है। वह उससे क्षुब्ध हैं। एक मंदिर अथवा मजार के साथ कई दुकानें अनायास ही उग आती हैं। आस्था बाजार में बदल गई है। वह लिखते हैं-
’’एक प्रश्न मेरे मन में उठता है कि ईश्वर ने अपनी हितसिद्धि के लिए इंसानों की रचना की है.......या इंसानों ने अपनी हितसिद्धि के लिए ईश्वर और धर्म की रचना की है’’
उनकी कविताएं भी प्रगति के नये प्रतिमान गढ़ती हैं-
जहां विवेक रूढ़ियों का दास हो
जहां आस्था का कारण त्रास हो
इस ब्लॅाग में इंडिया गेट, वोट क्लब की चित्रावली है जिसके माध्यम से बिना लिखे ब्लॉगर वहां की गंदगी और अराजकता को उजागर करता है।

पद्मसिंह.वर्डप्रेस.कॉम

सतरंगी-सतरंगी यादों का इन्द्रजाल के ब्लॉगर सुलभ जायसवाल हैं। वह अररिया (बिहार) से सम्बंध रखते हैं। इस ब्लॉग में हास्य-व्यंग्य की प्रचुरता है। नये विषयों पर प्रभावशाली ढंग से किस तरह कविता उकेरी जा सकती है। इस ब्लॉग के सहज ही देखा जा सकता है। जुनूनी ब्लॉगरों को उनके परिजन भी पसंद नहीं करते। अतः युवा ब्लॉगर को कोई भी लड़की पति के रूप में स्वीकार नहीं करती। वह अपने पिता से कहती है-
पापा मैं हूं लड़की आधुनिक दिल की खुली
ऐसे ब्लॉगर बलमा से तो मैं कुंवारी भली
सुलभ जी भोजपुरी क्षेत्र के हैं। अतः वह भोजपुरी काव्य से कैसे अलग रह सकते हें। उनके ब्लॉग पर इस भाषा की सोंधी सुगंध भी देखी जा सकती है-
देखाई कइसे जताई कइसे
हमरो अकिल बा बताई कइसे
इसके अतिरिक्त ब्लॉग में लघु कहानियां व गजल की अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है।

सुलभ्पत्र.ब्लोग्पोस्त.कॉम

उद्भावना ब्लॉग के ब्लॉगर पंकज मिश्रा पत्रकार हैं। उनकी अधिकांश पोस्टों में उनका पत्रकार स्पष्ट दिखाई देता है। उनका लेखन किसी बात को सहजता से नहीं अपितु विश्लेषणात्मक शैली में प्रस्तुत करता है। व्यंग्य शैली में लिखे उनके आलेख ‘‘वे क्यों बनें प्रधानमंत्री’’ में उन्होंने राहुल गांधी का अप्रत्यक्ष रूप से सजीव स्कैच खींचा है। जब उनकी प्रधानमंत्री से अधिक साख और सम्मान है। सभी उनके दरबारी हैं तो फिर इस पद की आवश्यकता ही क्या है ? समसामयिक विषयों पर उनके आलेख जीवंतता प्रदान करते हैं। ये कैसा यंगिस्तान में क्रिकेट के बारे में समीक्षात्मक लेख है वहीं काहे की जनता जनार्दन में बेचारी जनता की बेवसी और लाचारी को प्रभावशाली तरीके से उकेरा गया है। नेट के विस्तार के बारे में ज्ञानवर्द्धक लेख इस विधा से जुड़े लोगों को बेहद पंसद आएगा।

उद्भावना.ब्लागस्पाट.com

मेरासागर ब्लॉग की ब्लॉगर प्रीति बर्थवाल हैं। दिल्ली वासी प्रीति मन के भावों को सहजता और सरलता से अपने ब्लॉग पर व्यक्त करतीं हैं। सटीक और आकर्षक चित्रों से उनका ब्लॉग मन को सहज ही आकर्षित करता है। उनकी अधिकांश पोस्टों में कविता की प्रचुरता दिखाई देती है। जिंदगी पर उनका फलसफा है-
जिंदगी चलती रही
ख्वाब कुछ बुनती रही
कुछ पलों की छांव में
अपना सफर चुनती रही
सूर्य ग्रहण के समय ज्योतिषियों की भविष्यवाणी तथा हिदायतों का तार्किक रूप् से खंडन किया है प्रीति ने। दिल के बारे में लोकप्रिय गीत- बिल्कुल सच्चा है जी, कुछ मचलता है और, कुछ फिसलता है जी, दिल तो बच्चा है जी, को चित्ताकर्षक चित्र के साथ पोस्ट किया गया है।

मेरासागर.ब्लोग्पोस्त.कॉम

1 टिप्पणी:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 27.06.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
    http://charchamanch.blogspot.com/

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