वर्तमान समय मूल्यों के पतन का है। ऐसे समय में रचनाकारों का दायित्व बन जाता है कि वे अपने युगधर्म का निर्वाह करें। यह ब्लॉग रचनाधर्मिता को समर्पित है। मेरा मानना है- युग बदलेगा आज युवा ही भारत देश महान का। कालचक्र की इस यात्रा में आज समय बलिदान का।
शुक्रवार, 18 जून 2010
टीवी सीरियल का जादू
आज वस्तुतः लोगों के दिल पर टीवी सीरियल का जादू चढ़ता दिखाई दे रहा है। विभिन्न चैनलों के माध्यम से कई सीरियल लोगों का मनोरंजन करने में जुटे हैं। कभी एक चैनल का ही इस पर कब्जा था लेकिन अब कई चैनल जिनमें कलर्स चैनल ने अपना जोरदारी से आगाज किया है। इसके सीरियलों ने इस विधा को नई दृष्टि और दिशा दी है। सास-बहू के झगड़े से इतर उन्होंने कई सामाजिक समस्याओं को मनोरंजनपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया है। सबटीवी के सीरियल जहां हंसी-मजाक तक सीमित हैं वहीं स्टारप्लस भी रोमानी सीरियल के साथ मानवीय मनोविज्ञान को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर रहा है। कभी जमाना था जब रामायण का सीरियल देखने के लिए पूरा शहर सन्नाटे के आगोश में समा जाता था। महाभारत सीरियल में जनता ने युद्ध-कौशल के साथ डा. राही मासूम रजा के विशुद्ध हिंदी के संवादों का आनंद लिया और उसे परवान पर पहुंचाया। सिनेमा के साथ आज भी टीवी सीरियल जनता के मनोरंजन के सशक्त साधन बने हुए हैं। अब इसमें कई प्रतियोगिताएं भी हों रहीं हैं। महुआ चैनल का भाभी नम्बर एक काफी लोकप्रिय रहा। प्रतिज्ञा, ससुराल गेंदा फूल, झांसी की रानी, काशी, देवी, दिल मिल गये, हमारी देवरानी, दो हंसों का जोड़ा आदि सीरियल्स अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें