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गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

कॉमनवैल्थ खेल - सोने की लंका की लूट

कॉमनवैल्थ खेलों के नाम पर नेताओं और अधिकारियों ने अपना खेल कर लिया। दिल्ली में इस खेल का जश्न इस तरह हुआ कि जैसे भारत विश्व का सबसे अमीर देश है। यहां की जनता खुशहाली का जीवन जी रही है। तभी तो हमने इस खेल पर 70 हजार करोड़ रुपये बेरहमी से खर्च किये। हालांकि इस घपले की गूंज तो इसकी तैयारी के समय से उठी थी। लेकिन राष्टीय सम्मान और स्वाभिमान के नाम पर सबका मुंह बंद कर दिया गया। अब खेल के बाद सरकार के इस मामले की गंभीरता को समझते हुए इसकी जांच पूर्व मुख्य सर्तकता आयुक्त को सौंप दी तो लगा कि सरकार वास्तव में इस घपले के प्रति गंभीर है। अभी जब आयकर विभाग ने भाजपा के दिग्गज नेता के निवास और कारोबार स्थलों पर छापा मारा और 700 करोड़ के घपले की जांच शुरू कर दी है। इस महाघोटाले की छींटे शीला दीक्षित, जयपाल रेड्डी व खेलमंत्री गिल पर भी पड़ रही हैं। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि कांग्रेस के विचारशील नेता मणिशंकर अय्यर ने इन खेलों से पहले ही इसमें हो रहे अनाप-शनाप खर्च की आलोचना की थी। परंतु सरकार के काम पर जूं नहीं रेंगी। अब तब जो कार्रवाइयां चल रहीं है। उससे यह साफ हो गया है कि देश का माल लूटने में सभी दलों के नेता एकजुट हैं। जब खेल में से भी खेल होना इस देश की नियति बन गया है तो क्या होगा इस देश में खेलों का भविष्य ? अब तक के घपले, घोटालों को देखकर देश की जनता को विश्वास नहीं है कि कॉमवैल्थ खेल रूपी सोने की लंका को लूटने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

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