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मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

सांसद निधि पर ज्वलंत सवाल

बिहार में नीतीश कुमार ने विधायक निधि समाप्त कर यह मांग पुरजोर तरीके से उठाई है कि सांसद निधि भी समाप्त की जाये। इस तरह की मांगे विगत कई वर्षो से उठाई जा रही हैं कि इस निधि का दुरुपयोग हो रहा है और सांसद अपनी मनमानी करके इसका उपयोग कर रहे हैं। वैसे जब 1993 में अल्पमत में आई पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव ने इसे संभवतः इस उद्देश्य से आरंभ किया था कि इससे सांसदों को विकास के लिए प्रोत्साहन राशि मिल जाये। योजना के आरंभ में सांसद निधि की धनराशि पहले पचास लाख और फिर एक करोड़ रुपये थी जिसे राजग सरकार ने बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया था। इस मन्तव्य भले ही विकास का रहा हो लेकिन इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि अपनी अल्पमत सरकार को बचाने का शायद यह लॉलीपॉप भी था। इस निधि में प्रतिवर्ष 1600 करोड़ सांसदों को आवंटित की जाती है। अब तक इस मद में 17000 करोड़ रुपये आवंटित हो चुके हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित का मामला बताकर इस योजना को हरी झंडी दिखा दी। जबकि द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग तथा नेशनल कमीशन फॉर रिव्यू ऑफ द वर्किंग ऑफ कांस्टीट्यूशन अर्थात् एनसीआरडब्ल्यूसी और 2005 में सोनिया गांधी की अध्यक्षता में गठित नेशनल एडवायजरी कमेटी भी सांसद निधि खत्म करने की सिफारिश कर चुकी है। सांसदों की मांग थी कि सांसद निधि बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये सालाना की जाये। इस पर केन्द्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के इस प्रस्ताव को योजना आयोग के उपाध्यक्ष डा. मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने ठुकरा दिया है। इस निधि के दुरुपयोग की शिकायतें आम हैं। यह वास्तविकता भी है कि सांसद-नौकरशाही और ठेकेदारों का गठजोड़ इस निधि का बंदरबांट करने से पीछे नहीं है। अधिकांश सांसदों ने इस राशि का उपयोग अपने निजी स्कूल व कॉलेज आदि में अधिक किया है। दुरुपयोग के संबंध में केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जायसवाल ने कहा कि हाल ही में उनके मंत्रालय ने एक रपट जारी करते हुए उन कार्यों का खुलासा किया था जो सांसद निधि के तहत चिन्हित नहीं हैं। ऐसे सांसदों से उनके द्वारा कराये गए गैर चिन्हित कामों की रकम वसूली के लिए सम्बंधित जिले के डीएम को कार्रवाई शुरू करने का कहा गया है।

1 टिप्पणी:

  1. The M.P. and M.L.A. local development funds scheme was launched by Shri Narasamiha Rao, then Prime Minister. The scheme is against the constitution provision of demarcation of functions of executive, legislature and judiciary. The M.P.s and M.L.A.s have the basic function of legislating and not development activities which is in the domain of executive. Besides, all constituencies do not need same funds whereas the scheme gives equal funds for all constituencies irrespective of state of development. These are the issues apart from the allegations of misuse of these funds.

    Steps should be taken to abolish the scheme. The funds should be allocated to the district authorities on basis of requirements and not uniformly as done in the current scheme of MPLDA and MLALDA.

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