शिक्षा के अधिकार विषय पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला पूंजीपतियों को रास नहीं आ रहा। यह सच है कि आजकल शिक्षा एक दुधारू और मुनाफाबटोरू धंधा हो गया है और शिक्षा की दुकानों के मालिकान अरबों, खरबों के मालिक है। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि 25 फीसदी गरीबों का आरक्षण पूंजीपतियों की मनमानी का शिकार न बन जायेगा अपितु इस पर प्रभावी अमल होना चाहिए। सरकार की संस्तुति पर ही इन कालेजों में गरीबों के दाखिले दिये जाने चाहिए और ऐसे बच्चों की सूची सार्वजनिक होनी चाहिए जिससे इस मामले में पारदर्शिता बनी रहे। इसी प्रकार निजी अस्पतालों में भी गरीबों के इलाज की बाध्यता है लेकिन चिकित्सा दुकानदारों ने उसे मजाक बना दिया है।
शिछा का अधिकार अदिनियम का पालन कहि पर भी होता हुआ दिखाई नही देरहा ही एक तरफ तो कानून में यह प्रावधान रखा गया ही की १४ वर्ष तक के बचो को निशुल्क शिछा दी जाएगी किन्तु केंद्रीय विद्ययालय जो की खुद एक सरकारी स्कुल हिव्हा पर भी १४ वर्ष तक के बच्चो से पहले से भी तीन गुना फीस लिया जा रहा ही और वह फीस शाला विकास निधि के नाम पर लिया जा रहा ही/ इस विषय से मानव संसाधन मंत्री को अवगत कराया जाना चाहिए / रामप्रकाश पाण्डेय /दरबारी टोली जशपुर नगर/ छत्तीसगढ़/मो.९४०६३३११६८
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